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तुलसीदास जी ने अपने दोहे में स्त्रियों के बारे में कौन सी गोपनीय बातें बताई थी


अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे ।


आज हम रोचक तथ्य में बात कर रहें हैं तुलसीदास के बारे में। महान कवि तुलसीदास के बारे में कौन नहीं जनता। तुलसीदास की प्रतिभा किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत बल्कि सारा विश्व आलोकित हो रहा है। हालाकिं ये कहते हुए बहुत अफ़सोस हो रहा है की इस महान कवि का जन्म-काल हमेसा से विवादों के घेरे में रहा है।
तुलसीदास जी का जन्म 1511 ई। में हुआ था। इनके जन्मभूमि होने का गौरव पाने के लिए अब तक राजपुर (बाँदा), सोरों (एटा), हाजीपुर (चित्रकूट के निकट), तथा तरी की और से बहुत प्रयाश किया जाता रहा है। हालाँकि अधिकांश विद्वानों के अनुसार मन गया है की इनका जन्म राजापुर चित्रकूट जिले के उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके बचपन का नाम रामबोला था और इनके पिता जी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था तथा गुरु का नाम नर हरिदास था।

तुलसीदास के बचपन का नाम क्या है ?

अधिकांश विद्वानों के अनुसार माना गया है की अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे और उन्होंने जन्म लेने के साथ ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे इनका बचपन में ही रामबोला नाम पड़ गया।
जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया। इनके पिता ने किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिए। चुनिया रामबोला का पालन पोषण कर रही थी और जब रामबोला साढ़े पाँच वर्ष का हुआ तो चुनिया भी चल बसी। अब रामबोला अनाथों की तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया।

लोग तुलसी दास को वाल्मीकि का पुनर्जन्म मानते है। तुलसी दास जी अपने प्रसिद्ध कविताओं और दोहों के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरित मानस पूरे भारत में बहुत ही लोकप्रिय हैं। तुलसी दास जी ने अपना ज्यादातर समय वाराणसी में बिताया है। तुलसीघाट का नाम तुलसी जी जहां रहते थे उसी के नाम पर पर है और उन्होंने वहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर बनाया था लोगों का मानना है कि वास्तविक रूप से हनुमान जी से तुलसी दास जी वहीं पर मिले थे, और तुलसी दास जी ने रामलीला की शुरुआत की।

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तुलसीदास के द्वारा स्त्रियों के बारे में गोपनीय बात -
कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम सीधा -सीधा नहीं बता सकते । उन्हें घुमा फिरा कर कहना पड़ता है। ऐसे ही हिंदी के महान कवि तुलसीदास जी ने स्त्रियों के बारे में गोपनीय बातें कहीं हैं।

 Women secret by Tulsidas

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर, सुन्दर केकिही पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||

अर्थात- तुलसीदास जी अपने इस दोहे में कहते हैं कि एक स्त्री बेहद खूबसूरत होती है और उसके पीछे कोई भी व्यक्ति मूर्ख बन जाता है यहां तक कि एक समझदार व्यक्ति भी मूर्ख बन उसके पीछे पीछे घूमता है। यदि एक मोड़ को देखा जाए तो वह बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक होता है जिसे देखकर लोग उस पर मोहित हो जाते हैं लेकिन वह जब सांप खाता है तो उसके वह सब भूल चूक जाते हैं जो सबको मोहित कर लेते है। इस बात से कवि तुलसीदास जी यह समझाना चाहते हैं कि हमें खूबसूरती के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि मनुष्य को अपने विवेक से काम लेना चाहिए।

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जननी सम जानहिं पर नारी। तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे।।

अर्थात- मां और अपनी स्त्री को छोड़करअन्य सभी महिलाओं को बहन के बराबर समझना चाहिए। जो पुरुष ऐसा करते हैं उनके हृदय में स्वयं भगवान वास करते हैं और उनका हृदय बेहद ही शुद्ध और पवित्र होता है।

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धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिए चारी।।

अर्थात- हमें अपने जीवन में धीरज, धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा मुश्किल घड़ी में ही लेनी चाहिए क्योंकि उस समय में पता चलता है कौन अपना है या कौन पराया।

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सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस, राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।।

अर्थात- तुलसीदास जी कहना चाहते हैं कि गुरु, राजनेता और वैद्य यदि आप से स्वार्थ भाव रखते हुए प्यार से बात करते हैं तो इन तीनों के जीवन का जल्द ही विनाश हो जाता है। तुलसीदास जी साफ रूप से यह कहना चाहते हैं कि किसी भी पद पर आसीन रहते हुए यदि आप अपने स्वार्थ के बारे में सोचते हैं तो जल्द ही आपकी सत्ता का विनाश निश्चित है।


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मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना, नारी सिखावन करसि काना।।

अर्थात- जो व्यक्ति महान या किसी महात्मा पुरुष की बात नहीं मानता है वह पतन के गहरे गड्ढे में चला जाता है जिस तरह से बाली ने अपनी पत्नी की बात ना मानते हुए वह कार्य किए जो उसे नहीं करने चाहिए थे उसे हार का मुंह देखना पड़ा और खुद के प्राण भी गंवाने पड़े।

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