मेरा यह पोस्ट थोड़ा लम्बा जरूर हो सकता है लेकिन मुझे लगता है की हर भारतीय नागरिक को यह जरूर पढ़ना चाहिए और इसपर विचार करना चाहिए। मैं भी आपकी हीं तरह एक आम भारतीय नागरिक, एक आम जनता हूँ जो TAX पे करता है और अपने कमाई के पैसों का दुरूपयोग होते नहीं देख सकता।
मेरे समझ में ये नहीं आता कि मुठ्ठी भर लोग हमारे समाज का तानाबाना अपने निजी स्वार्थ के लिए क्यों बिगाड़ कर रख दिए है,और हम भी उन मुठ्ठी भर लोग के आगे पीछे,अपनी परिवारिक जिम्मेवारियों को ताक पर रखकर,घूमते रहते है। हमें यह सोचना चाहिए की हमारा भारत देश गीता कुरान बाइबिल या गुरुग्रंथ साहब से चलेगा या हमारे को सुचारू रूप से चलाने के लिए बने संविधान से चलेगा। मैं मंटा हूँ धर्म जरुरी है, और मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूँ लेकिन भारत सरकार जब भी कोई कानून लेकर आती है, जिससे समाज में सुधार की संभावनाएं बनती है तो कुछ लोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए मानने से इंकार कर देते है, और कुछ युवा साथी भी बिना सोचे समझे उनके साथ हो लेते है। उन्हें स्तिथि के बारे में पूरी तरह से जानकारी भी नहीं होती और फैलाये हुए भ्रम में धरने पर बैठ जाते है और कभी कभी हिंसा पर भी उतर जाते है।
हमारे देश के युवा ही हमारे देश के भविष्य है :
वैसे देखा जाये तो और जैसा की कहा जाता है की युवाओं के भरोसे ही हमारा देश है। हमारे देश के युवा ही हमारे देश के भविष्य है लेकिन कुछ दिनों से CAA और NRC को लेकर जैसी अराजकता हमारे देश में फैली हुई है उसके पीछे भी हमारे देश के युवा ही है। इतना पढ़ा लिखा होने के बाद भी वो किसी के बातों में आ कर कैसे हिंसा कर सकते है ये बात मेरे जहन में हमेशा एक सवाल बनकर दौड़ते रहती है। हमें सोचना चाहिए की ये लोग आते है भीड़ इकठ्ठा करते है सरकार से विरोधी भाषण देकर फिर बिल में दुबक जातें है लेकिन इन सब का नुकसान हमारे जैसे आम नागरिकों को उठाना परता है क्यूंकि जो भी नुकसान होता है उसकी भरपाई तो हमारे और आपके जैसे आम नागरिक के TAX से ही होगी। इन नेताओं को तो कोई TAX देना नहीं पड़ता।
ये नेता जो हमें भड़काते हैं और हमसे अराजकता फ़ैलाने को कहते है हमारे अंदर सरकार के लिए गए फैसलों के खिलाफ घृणा भरते है, अगर हमारे बारे में इतना ही सोचते है तो जब लाठी कहानी होती है नुकसान की भरपाई करनी होती है तो पीछे क्यों हट जाते है फिर जब हमारा नुकसान हो जाता है तो आते है झूठी मलहम लगाने और उसपे राजनीती खेलने।
CAA, NRC और NRP को लेकर विपक्षी द्वारा फैलाये गए भ्रम की समीक्षा :
CAA, NRC और NRP को लेकर विपक्षी द्वारा जिस प्रकार भ्रम की स्थिति उत्पन्न की गई हैं वो देश के हित में तो है ही नहीं, समाज हित में भी नहीं है। केवल छुद्र राजनीतिक फायदे के लिए ये किया जा रहा है। CAA नागरिकता देने के लिए है न कि लेने के लिए, इससे किसी की भी नागरिकता पर किसी प्रकार भी कोई आंच नहीं आने वाली है, सरकार के बार बार समझने की बाद भी कोई समझने के लिए तैयार नहीं है, तो इसमें गलती समझाने वाले कि है या सब समझते हुए नादान बनने वाले की, आप ही सोचें। अब रही NRP की, तो ये हमारे देश की जनगणना से है जो प्रत्येक दस साल बाद किया जाता है, इसके खिलाफ भी एक विशेष वर्ग को उनके दिमाग में गलत अवधारणा भर दिया गया है, जबकि इसके बारे में भी सरकार द्वारा बार बार सफाई पेश की जा रही है फिर भी इसके बारे में भी समझने कोशिश नहीं की जा रही है।
हमारे देश के जितने भी धर्मिक स्थल है वो पूजा, इबादत का जगह है, वो शांति और अमन के लिए है लेकिन अगर उस जगह से नमाज या पूजा करने के बाद जब विशेष समुदाय के लोग प्रदर्शन और हिंसा में लिप्त होकर सार्वजनिक जगहों पर नुक़सान करते पाए जाय, तो एक बार सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि ये लोग पूजा, इबादत करने गए थे या हिंसा के लिए मीटिंग करने गए थे। किसी भी हालत में पूजा या इबादत करने के बाद हिंसा प्रदर्शन तो होनी ही नहीं चाहिए, नहीं तो सवालिया निशान लगेगा ही।
बिना लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के रेलवें में 2562 पदों पर भर्ती
सोचना हमें है, मुठी भर लोग बस अपनी राजनीती चमकाएंगे :
सोचना हमें है, मुठी भर लोग बस अपनी राजनीती चमकाएंगे :
एक तरह से सोचने पे लगता है की बेरोजगारी के पीछे जनसँख्या का भी बहुत बड़ा योगदान है। जिस प्रकार हमारी देश की जनसंख्या दिन दुनी रात चौगुनी के रफ्तार से बढ़ती जा रही है इसे कम करने के लिए हम सब मिलकर नहीं सोचेगे, तो कौन सोचेगा? अगर सरकार कोई नियम आबादी रोकने के लिए लाएगी तो उस समय हम ये कहने लगे कि मेरा गीता, कुरान, बाइबिल या कोई भी धामिक ग्रन्थ इजाजत नहीं देता, तो ये कहां तक उचित है, इसलिए मेरा आपना सोचना है कि समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए सर्वप्रथम हमे ही सोचना पड़ेगा।
मैं यह बिल्कुल नहीं कहता और न ही कभी कहूंगा की आप सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसले का स्वागत आँख बंद करके कीजिये क्योंकिं विरोध करना हर भारतीय का अधिकार है लेकिन यह जरूर कहना चाहूंगा की विरोध में हिंसा नहीं होनी चाहिए हमारे अपनी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए क्योंकि कोई भी सरकार कोई भी नेता नुकसान किये हुए संपत्ति की भरपाई अपने पास से नहीं करेगा वो भरपाई हम आम जनता को ही करनी पड़ेगी। मैं अपने युवा साथियों और हिंसा में शामिल हुए सभी भाइयों से कहना चाहता हूँ की आप सब पढ़े लिखे हैं ऐसे किसी की बातों में आकर उग्र प्रदर्शन न करें ऐसा कोई काम न करें की आपका भविष्य ही ख़त्म हो जाये। आप सब एक पढ़े लिखे युवा हो आप सबसे पहले उन बातों की सचाई का पता करें जिसके खिलाफ विपक्ष आपको भरका रही है। फिर कानून के दायरे में रहकर कोई कदम उठाये।
और भी बहुत कुछ लिखना चाहता था लेकिन एक ही पोस्ट में इतनी बातें नहीं लिख पाउँगा। अपने अगले पोस्ट में लेकर आऊंगा एक और नया टॉपिक जिनमे हम झूठे और भ्रम फैलाने वाले नेताओं से बच सके।
जय हिन्द, जय भारत !
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