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ऑस्ट्रेलिया में आग ने लिया भयंकर रूप, लोगों को जगह खाली करने के आदेश

ऑस्ट्रेलिया में यह आग कैसे लग गई? काफी लोग इस आग की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। जानवरों का तो कोई हिसाब नहीं है। विभिन्न इलाकों में लगभग 1200 से ज्यादा घर जलकर खाक हो चुके हैं।


Australia Fire, कहते हैं अगर आप प्रकृति को नुकसान पहुंचाओगे तो वह किसी न किसी रूप में तांडव दिखती ही है। यही देखने को मिल रहा है ऑस्ट्रेलिया में। ऑस्ट्रेलिया के जंगल में लगी आग का प्रकोप बहुत हीं भयंकर तरीके से फ़ैल रहा है जिसमे कितने हीं जान इसकी चपेट में आ गए है और कितने हीं अभी भी फसें हुए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में आग इतने भयंकर तरीके से फ़ैल रही है की इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा इस समय में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर हो गया है। कैनबरा के प्रदूषण की हालत दिल्ली के प्रदूषण से कई गुना खराब है। ये आग न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया प्रांतों के जंगलों में लगी हुई है और इसने ना सिर्फ कैनबरा, सिडनी बल्कि ऑस्ट्रेलिया के और भी बड़े शहरों को प्रदूषित कर दिया है।


Australia Fire

काफी लोग इस आग की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। जानवरों का तो कोई हिसाब नहीं है। विभिन्न इलाकों में लगभग 1200 से ज्यादा घर जलकर खाक हो चुके हैं। सिर्फ न्यू साउथ वेल्स में गुरुवार को आग लगने की वजह से 40 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई। लोग जीवनरक्षक जैकेट पहन रहे हैं ताकि अगर आग से बचने की जरूरत पड़ी तो वह समुद्र में उतर सकें।

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कई शहर तो खाली करवा लिए गए हैं लोगों को वहां से हटाना पड़ा है क्योंकि वहां पर धुआं इतना ज्यादा आ रहा है कि लोग वहां रह ही नहीं पा रहें है। छुट्टियां मनाने शहर आए हजारों लोग और स्थानीय निवासी आग के कारण फंस गए हैं। मल्लकूटा शहर में चार हजार लोग फंसे हुए हैं। 30,000 पर्यटकों से इलाके को खाली करने की चेतावनी दी गई है। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया के कई क्षेत्रों में और राज्यों में इमरजेंसी लागू कर दी गई है। अगर तुलना की जाए तो ऑस्ट्रेलिया की आग अमेज़ॉन जंगलों की आग से काफी ज्यादा बड़े क्षेत्र में लगी है।

प्रश्न यह है कि ऑस्ट्रेलिया में यह आग कैसे लग गई?

 Australia Fire

ऑस्ट्रेलिया में नवंबर, दिसंबर और जनवरी में गर्मी का मौसम होता है। इस बार गर्मी बहुत ज्यादा है, हवाएं तेज हैं। इस बार तापमान यहां तापमान 42 डिग्री सेल्सियस जितना ज्यादा हो गया है।

मुख्य कारण जो बनते हैं आग लगने के पीछे:
  • गर्मी बहुत ज्यादा है दिसंबर के महीने में यहां तापमान 41.9 डिग्री सेल्सियस हो गया था।
  • इस साल सूखा ज्यादा पडा है। यहाँ बारिश बिल्कुल ना के बराबर हुई है जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया के पेड़, पत्तियां और घास सब सूख चुके हैं। जिस जंगल में बारिश नहीं होती है बिल्कुल सूखा हो जाता है वहां आग आसानी से फैल सकती है।
  • पिछले तीन महीने से तेज गर्म हवाएं चल रही हैं और इन हवााओं ने भी इस आग को फैलाने का काम किया है।
  • प्रधान मंत्री द्वारा कोल माइंस के एक्सपोर्ट व इस्तेमाल को बढ़ावा देना और अदानी कंपनी को कोल माइंस का आवंटन। इंडिया की अदानी कंपनी ने वहां काफी माइंस खरीदी हैं जो ईस्टर्न कोस्ट में स्थित हैं। ऑस्ट्रेलिया में इस चीज को लेकर के काफी विवाद है कि ये माइंस अप्रूव हों या नहीं क्योंकि इससे प्रकृति को नुकसान होता है।
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