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मेजर जनरल कसिम सुलेमानी की मौत के बाद ट्रम्प की जान को खतरा।

आयूब ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या करने वाले को 8 करोड़ डॉलर का इनाम देने का वादा किया है। इनाम की राशि जुटाने के लिए हर ईरानी से $1 देने की अपील की है।


Qasem Soleimani Death, ईरान ने मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सिर पर 8 करोड़ों का इनाम रख दिया है। मिरर डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक सुलेमानी के जनाजे के दौरान आधिकारिक प्रसारक ने हर ईरानी से $1 देने की अपील की है, और इस राशि का इस्तेमाल अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या करने वाले शख्स को इनाम के तौर पर देने में की जाएगी ।

कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान किस कदर बेताब नजर आ रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है की सुलेमानी के जनाजे के वक़्त आयूब ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या करने वाले को 8 करोड़ डॉलर का इनाम देने का वादा किया है। ईरान की आबादी 8 करोड़ आंकी गयी है और हर एक ईरानी से 1$ की अपील की गयी है उसके हिसाब से इनाम की राशि 8 करोड़ डॉलर बताई जा रही है।

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Qasem Soleimani Death


दरअसल डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर हीं ईरान के कमांडर सुलेमानी को 3 जनवरी को ड्रोन हमले में मार गिराया गया था। इस ड्रोन हमले में सुलेमानी समेत 8 लोगों की मौत हो गयी थी। एक तरफ ईरान जहाँ बदले की आग में जल रहा है वहीँ अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ईरान को धमकी पर धमकी दे रहे है। सर पर ईरान के द्वारा इनाम रखने के बावजूद भी ट्रम्प ने ट्वीट कर ईरान को धमकी दी और कहा की -

"ईरान अगर किसी यूएस प्रतिष्ठान और किसी भी अमेरिकन को चोट पहुंचाता है तो उसे तत्काल और पूरी तरह से खतरनाक अंदाज में जवाब दिया जाएगा । सयुंक्त राष्ट्र्अमेरिका ने सिर्फ सैन्य उपकरणों पर 2 ट्रिलियन डॉलर खर्च किये है और उनके पास दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे अच्छे उपकरण हैं यदि ईरान एक अमेरिकी बेस या किसी अमेरिकी पर हमला करता है तो हम अपने नए हथियार और खूबसूरत उपकरणों को बिना किसी हिचकिचाहट के उनके रास्ते पर भेज देंगे।"

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इससे पहले भी ट्रम्प ईरान को धमका चुके हैं कि यदि अमेरिकी संपत्ति या अमेरिकी नागरिक पर हमला किया गया तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

आईये जानते है कमांडर कासिम सुलेमानी कौन था, और उसके मौत पर ईरान बदले की आग में क्यों जल रहा है:

Qasem Soleimani Death

कासिम सुलेमानी का जन्म ईरान के सुदूरपूर्व दक्षिणपूर्व इलाके के एक गरीब परिवार में हुआ था। बीस साल की उम्र में वह ईरान की महत्वपूर्ण इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड में शामिल हुआ, और अपने दिमाग और म्हणत के बल पर आगे बढते चला गया। ईरानी सरकार ने रिवोल्यूशनरी गार्ड का गठन देश की सुरक्षा और विचारधारा को कड़ाई से लागू करने के लिए किया था। 1980 और 1988 में पड़ोसी देश इराक के साथ हुऐ युद्ध के दौरान रिवोल्यूशनरी गार्ड के पास राजनीतिक और आर्थिक शक्तियां भी आई। इराक में हुए खूनी संघर्ष ने सुलेमानी को आगे बढ़ने में काफी मदद पहुँचाई। वह अपने रणकौशल से लगातार दुश्मनों को कुचलते रहे और आगे बढ़ते रहा। 1990 के दशक के आखिरी सालों में उसे कुद्स गार्ड का चीफ बना दिया गया। कासिम सुलेमानी ने लेबनान में हिजबुल्लाह को बढावा दिया और ये आरोप उसपर कई बार लगे।

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कासिम सुलेमानी अमेरिका का दुश्मन कैसे बना:

ईरान में जनरल सुलेमानी की अहम भूमिका थी। बगदाद को इस्लामिक स्टेट के आतंक से बचाने के लिए उसके नेतृत्व में हीं ईरान समर्थक फोर्स का गठन हुआ था, जिसका नाम पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स था। सुलेमानी अमेरिका का कितना पूराना दुश्मन था इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग में उसकी भूमिका अहम थी। और इस युद्ध में अमेरिका ने सद्दाम हुसैन का खूलकर साथ दिया था क्योंकि अमेरिका की नजर में ईरान उस समय उसका सबसे बड़ा शत्रु था। ईरानी क्रांति से पहले वहाँ अमेरिका का हीं दबदबा था।

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