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"अलख निरंजन" का असली मतलब क्या होता है?

Alakh Niranjan: अलख शब्द अलक्ष का अपभ्रंश रूप है जिसका अर्थ है - जिसे देखा ना जा सके (तेज दिव्य प्रकाश, परमशक्ति), अंजन अर्थात अज्ञान। इस प्रकार निरंजन का अर्थ हुआ-अज्ञानता नष्ट होना।


Alakh Niranjan, वैसे तो हम फिल्मों में और ऐसे भी कई जगह हमेशा अलख निरंजन शब्द सुनते हैं लेकिन क्या आपको पता है इसका असली मतलब क्या होता है? आज हम आपको बताने जा रहे है अलख निरंजन का असली मतलब।

'अलख निरंजन' मूलतः गोरखनाथ के शब्द माने जाते हैं, जो नाथ सम्प्रदाय के अनुयायियों और अन्य साधु - संतों द्वारा समाज में जागरण व धर्म के प्रचार - प्रसार के लिए घर - घर जाकर बोले जाते रहे हैं।

अलख शब्द अलक्ष का अपभ्रंश रूप है जिसका अर्थ है - जिसे देखा ना जा सके (तेज दिव्य प्रकाश, परमशक्ति), अंजन अर्थात अज्ञान। इस प्रकार निरंजन का अर्थ हुआ-अज्ञानता नष्ट होना। तो इस प्रकार अलख निरंजन का भाव हुआ-परमात्म ज्ञान का ऐसा दिव्य तेज प्रकाश जिसे देख पाना संभव न होते हुए भी उससे अंतरात्मा के साथ साक्षात्कार करना।

अलख निरंजन (Alakh Niranjan) का दूसरा अर्थ

अलख का मतलब है, जानो, पहचानो, उस निरंजन याने दिव्य स्वरुप को, जो की आत्मा का असली स्वरुप है ।
मै जिव हूँ , या कोई विशिष्ट व्यक्ति हूँ, इस धारणा का त्याग करके, अपने शरीर, उसकी वासनाएं, उसके मोह, इन सबका त्याग करके इस माया से बाहर निकलो, और अन्दर झाँक के देखो।

यह तुम्हारे अन्दर का जो निरंजन स्वरुप आत्मा है, उसकी दिव्यता, उसका तेज, उसकी सर्व व्यापकता का तुम अनुभव करो।

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जोगी जब किसी दरवाजे पर जाके कहता है, अलख निरंजन (Alakh Niranjan), तो उसका मतलब है, जो भी कोई उस घर में रहने वाला है, वह निरंजन स्वरुप को जाने, आत्म ज्ञान की ओर अपना ध्यान दे।

अघोर के अनुसार 'अलख निरंजन' (Alakh Niranjan) का अर्थ

 Alakh Niranjan
Alakh Niranjan

एक अन्य पंथ(अघोर) के अनुसार अलख का अर्थ जगाना होता है और निरंजन का अर्थ है अनंत काल तक रहने वाली परम शक्ति या स्वामी । इस प्रकार किसी साधु द्वारा अलख निरंजन पुकारने का अर्थ है कि - हे अनंत काल के स्वामी (परमात्मा) जागो, देखो हम आपको पुकार रहे है

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‘अलख निरंजन’ का भावार्थ क्या है ?

अंजन यानी अज्ञान, अज्ञान नष्ट होना यानी निरंजन; इसलिए निरंजन का अर्थ है ज्ञान होना। लक्ष यानी देखना अथवा देख पाना, अलक्ष यानी वह जो इतना चमकीला, तेजस्वी है कि, उसे देख न पाएं। ‘अलक्ष’ शब्द का अपभ्रंश है ‘अलख’, तो ‘अलख निरंजन’ का अर्थ हुआ, ज्ञानका चमकीला तेज, जिसे देख पाना संभव न होते हुए भी उसका प्रत्यक्ष साक्षात्कार होता है ।

इस प्रकार एक अर्थ यह भी हुआ कि वह परमपिता परमात्मा, जिसे देखा नहीं जा सकता, वह हर जगह कण-कण में उपस्थित है।

जय हिन्द, जय भारत !

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