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इन लोगों का कसूर सिर्फ यही था की काम के तलाश में दिल्ली आये थे।

इनका क्या कसूर था की इन्हे मारा गया। न तो ये दंगे में शामिल थे ना हीं किसी के खिलाफ कोई आवाज़ उठाये थे, इनका सिर्फ एक हीं कसूर था की ये रोजी रोटी और काम के तलाश में दिल्ली आये थे और दिल्ली हिंसा (Delhi Hinsa) के शिकार हो गए।


Delhi Violence, बीते चार दिन में मारे गए लोगों की हर कहानी से दर्द का सागर फूटता है। गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शव गृह के बाहर बुधवार को इनके परिजनों की कभी रुलाई फूटती है तो कभी बहुत देर तक सन्नाटा छा जाता है। हर तरफ गम, गुस्सा और शोर का माहौल था। मरने वालों के परिजनों की आंखों में आंसूकी जगह सवाल हैं। आखिर किसके लिए किसको मार दिया? सुना तो यह था कि दिल्ली सबकी है। एक पिता की चीत्कार में डूबी आवाज गूंजती है भइया, गांव में ही मजूरी कर लेते, काहे दिल्ली आए।

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इनका क्या कसूर था की इन्हे मारा गया। न तो ये दंगे में शामिल थे ना हीं किसी के खिलाफ कोई आवाज़ उठाये थे, इनका सिर्फ एक हीं कसूर था की ये रोजी रोटी और काम के तलाश में दिल्ली आये थे। इन चार दिनों में जितना दंगा फैला है और दिल्ली की जैसी स्थिति बन गयी है वो वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण और निन्दनिये है। धरने पर बैठना और शहर में आतंक फैलाना इनका पेशा बन गया है। अपनी आवाज़ ऊपर करने के लिए ये लोग मासूमों को भी नहीं छोड़ रहे। उस 26 साल के अंकित सक्सेना का क्या कसूर जो नौकरी कर के अपने घर लौट रहा था।

दिल्ली हिंसा (Delhi Hinsa): कहीं से गोली चली और फुरकान को आ लगी

कर्दमपुरी में रहने वाला बिजनौर का मूल निवासी फुरकान हैंडीक्राफ्ट का काम करता था। उसकी चार साल की बेटी और दो साल के बेटे को लेकर उसके कई सपने थे। वह घर से बाहर गया और कहीं से आई गोली लग गई। फुरकान के भाई इमरान ने बताया कि उसे घायल होने की सूचना फोन पर मिली। जीटीबी अस्पताल आया तो देखा कि भाई की मौत हो चुकी है। परिजन पोस्टमार्टम के बाद शव के इंतजार में खड़े हैं। फुरकान पर पहले कोई मामला दर्ज नहीं था।

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अशफाक की 11 दिन पहले हुई थी शादी

बुलंदशहर के सासनी गांव से अशफाक अपने सपने पूरे करने दिल्ली आए थे। 11 दिन पहले ही अशफाक की शादी हुई थी। वह इलेक्ट्रिशियन था। हिंसा के समय वह बिजली ठीक करने गए थे। दंगाइयों ने अशफाक को पांच गोली मारी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। अशफाक हुसैन चार भाई और चार बहन हैं। शवगृह पर आए उनके चाचा बताते हैं कि वह पढ़ना चाहता था। जिंदगी की जरूरत उसे दिल्ली ले आई और यहां जिंदगी ही चली गई।

Delhi Hinsa
Delhi Hinsa

दिल्ली हिंसा (Delhi Hinsa): कपड़े खरीदने निकले दीपक की गई जान

बिहार के गया से काम की तलाश में दिल्ली आए दीपक को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। करीब आठ साल पहले दीपक की शादी हुई थी। वह परिवार के साथ दिल्ली के मंडोली इलाके में रहकर मजदूरी कर रहा था। परिवार में पत्नी के अलावा एक लड़का और दो लड़की हैं। वह अपने बच्चों को पढ़ाकर बड़ा इंसान बनाना चाहता था। मंगलवार को वह जाफराबाद में कपड़े खरीदने गया था, जहां भीड़ ने उसपर हमला कर दिया। उसी समय दीपक को गोली लगी और उसकी मौत हो गई। परिवार में वह अकेला कमाने वाला था।

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दिल्ली हिंसा (Delhi Hinsa): दूध लेने गया राहुल और काम से बाहर निकला विनोद वापस नहीं लौटा

शिव विहार के बाबू नगर में रहने वाला 26 साल का राहुल सोलंकी सोमवार शाम घर से बाहर दूध खरीदने गया था। रास्ते में उसे लोगों ने घेर लिया। परिजनों ने कहा कि उसकी मौत गोली लगने की वजह से हुई है। राहुल परिवार में सबसे बड़ा था और एक निजी कंपनी में काम करता था। उसकी दो बहनें और एक भाई है। राहुल की मौत सोमवार शाम को हुई थी। शव लेने के लिए उसकी बहनें और परिवार के अन्य सदस्य गुरु तेज बहादुर अस्पताल के शवगृह के बाहर बैठे थे। राहुल के चाचा अरब सिंह ने बताया कि एक तो बच्चे की मौत हो गई है और उसका शव भी नहीं मिल रहा है। इसी तरह बलरामपुर के विनोद की भी हत्या कर दी गई। इनमें से किसी पर भी कोई पुराना मामला दर्ज नहीं था। हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों की भीड़ आई और मासूम लोगों की जान चली गई और पीछे रह गए रोते बिलखते परिजन।

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अब सुप्रीम कोर्ट को इस पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए और धरने पर बैठने वाले या धरने में किसी तरह से शामिल होने वालो को तुरंत जेल में डाल देना चाहिए। ये राजनीति करने वाले किसी के सगे नहीं है, इनका काम केवल लोगों को भड़काना और आग में धकेलना है। खुद भड़काऊ भाषण देकर बिल में चले जाना है और इसका शिकार होते हैं वो मासूम लोग जिन्हें इसकी कोई समझ नहीं है की वो क्या सही कर रहे हैं और क्या गलत। इसलिए मेरा उन सब से निवेदन है की ऐसे लोगों के बातों में ना आये और अपने परिवार और अपने देश के बारे में सोचें।

जय हिन्द, जय भारत !

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