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दिल्ली पुलिस ने JNU में हिंसा फ़ैलाने वाले गुंडों की तस्वीरें और नामों की सूचि जारी की हैं।

दिल्ली पुलिस पीआरओ, एमएस रंधावा ने कहा, "जेएनयू हिंसा की घटना की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है। लेकिन यह देखा गया है कि इन मामलों से संबंधित बहुत सी गलत सूचनाएँ प्रसारित की जा रही हैं।"


Violence in JNU, हाल ही में हुए जेएनयू हिंसा की जांच में दिल्ली पुलिस ने कैंपस में हिंसा फैलाने वाले उन गुंडों की पहचान कर ली है। जैसा कि अभी तक कहा गया है, हिंसा फैलाने वाले गुंडों ने उन छात्रों पर हमला किया था और पथराव किया था जो छात्र सेमेस्टर के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाने चाहते थे या रजिस्ट्रेशन करवाने गए थे।

दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया कि एक शख्स, जिसे पथराव करते देखा गया था, उसके चेहरे पर लाल रंग का नकाब था वह AISA कार्यकर्ता था उसका नाम चुंचु कुमार था। उस हिंसा में एक पहचान आइश घोष के रूप में भी की गई है जो की जेएनयूएसयू की अध्यक्ष हैं।

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दिल्ली पुलिस के द्वारा जारी की गयी तस्वीरों और नामों की सूची:

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दिल्ली पुलिस के डीसीपी डॉ जय तिर्की ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जेएनयू हिंसा के अब तक तीन मामले दर्ज किए गए हैं, और उनकी जांच हमारे द्वारा की जा रही है। डॉ। तिर्की ने आगे कहा कि जेएनयू प्रशासन 1-5 जनवरी तक छात्रों के ऑनलाइन पंजीकरण करने का फैसला लिया था, और जेएनयू छात्र संघ, जिसमें स्टूडेंट्स फ्रंट ऑफ इंडिया (एसएफआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), ऑल इंडिया शामिल थे। स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) इसके खिलाफ था। दिल्ली पुलिस ने कहा की वो उन संदिग्धों की तस्वीरें भी जारी किए हैं और जल्द ही उनसे पूछ ताछ भी शुरू करेंगे।

दिल्ली पुलिस पीआरओ, एमएस रंधावा ने कहा, "जेएनयू हिंसा की घटना की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है। लेकिन यह देखा गया है कि इन मामलों से संबंधित बहुत सी गलत सूचनाएँ प्रसारित की जा रही हैं।"

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निम्नलिखित व्यक्तियों का नाम दिल्ली पुलिस द्वारा नामित किया गया था, जिनमें से 7 वामपंथी हैं और 2 एबीवीपी के हैं:
  • चुनचुन कुमार
  • आइश घोष
  • पंकज मिश्रा
  • भास्कर विजय
  • सुचिता तालुकदार
  • प्रिया रंजन
  • सामंत
  • योगेन्द्र भारद्वाज
  • विकास पटे
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अब सौ बात की एक बात ये की आखिर JNU में हिंसा करने की जरुरत क्या थी। आखिर क्यों उन छात्रों को पढ़ने से रोका जा रहा है जो पढ़ने के इच्छा रखते हैं। जिनको भी रजिस्ट्रेशन नहीं करना था या वो इस फैसले से खुश नहीं थे तो उनको कानून के दायरे में रहकर धरना करना चाहिए था। उन छात्रों को पीटकर और हिंसा कर के ये आखिर क्या साबित करना चाहते हैं। अगर ये ऐसे ही करेंगे तो इनके छात्र होने पर प्रश्न खड़ा होने लगेगा। क्योंकि छात्रों का स्वभाव बेवजह लोगो का पीटना नहीं होना चाहिए।

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